दस ट्रेड यूनियनों एवं उनके समबद्ध संगठनों द्वारा एक साथ मिलकर किया गया हड़ताल का आह्वान मजदूरों के जायज मांगों के लिए है.
श्रम क़ानून में सुधारों एवं भूमि अधिग्रहण सुधार अध्यादेश का निरस्तिकरण करने की मांग, रेलवे, बीमा क्षेत्र तथा रक्षा विभाग का निजीकरण व उनमें विदेशी निवेश बंद करने की मांग, उत्पादों की जमाखोरी पर रोक लगाने की मांग, सार्वजनिक वितरण प्रणाली तथा मूल्य वृद्धि की नीतियों का साधारणीकरण और रोजगार के अवसरों में सुधार की मांग से लैस बारह सूत्री मांग पत्र एक जायज़ मांग पत्र है जिसे तत्काल पूरा किया जाना चाहिए.
पाकिस्तानी मजदूर भी सामान परिस्थितियों से जूझ रहे हैं और पाकिस्तान का शासक वर्ग मजूर वर्ग का का गहन शोषण कर रहा है. उनकी मजदूरी बेहद कम है और क्रूर श्रम कानूनों तथा श्रम विभाग की बेहरमी की वजह से आज एक यूनियन का पंजीकरण कराना एक बेहद मुश्किल काम हो गया है.
तकरीबन तीन सालों पहले, कराची के बाल्दिया शहर के एक कपड़ा मिल में आग लगने से ३०० से ऊपर मजदूर जिन्दा जल गए थे लेकिन अभी तक किसी को सज़ा नहीं सुनाई गयी है. गरीबी, बेरोजगारी, निजीकरण, ठेका मजदूरी और स्वास्थ्य सुवाधिओं के अभाव ने करोड़ों मजदूरों को त्रस्त कर रखा है.
इन सब के बावजूद, दोनों देशों के शासक वर्ग परमाणु हथियाथों का भीमकाय ज़खीरा इकठ्ठा कर रहे हैं. शासकों का वैभवशाली रहन-सहन, पूँजीपतियों का विशाल मुनाफा तथा साम्राज्यवादी ताकतों के हितों को बरकरार रखने के लिए दोनों देशों के मजदूर वर्ग को एक दुसरे के खिलाफ़ भड़काया जाता है और लगातार युद्ध उन्मादÂÂ बनाए रखा जाता है.
वक़्त आ गया है की दोनों देशों का मजदूर वर्ग दक्षिणी एशिया के अन्य देशों के मजदूर वर्ग के साथ मिलकर पूँजी के इस उत्पीडन के खिलाफ़ आवाज उठाएं और लूट और शोषण के खिलाफ़ एकजुट हों.
भारत और पाकिस्तान के मजदूर अमर रहे!
२ सितम्बर को होने वाली अखिल भारतीय आम हड़ताल का समर्थन करें!
दुनिया के मजदूरों एक हो!